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होली है

  होली है
                    (ओंकार ठाकुर )

रंग में कैसे खेलूं होली साँवरियाजी के संग|
      रंग में कैसे, मैं कैसे खेलूं होली .....

शिव भोले को दूध चढ़ाओ और चढाओ भंग|
ब्रज में होली खेलें देखो राधा मोहन के संग||
                  रंग में कैसे खेलूं......

इन रंगों में प्यार मिला है और मिली उमंग|
आओ मिल कर खेलें होली इक-दूजे के संग||
                  रंग में कैसे खेलूं......

हम से पंगा लेगा होगी पाक कि किस्मत तंग|
बॉर्डर पर हम खेलें होली अपनी सेना के संग||
                  रंग में कैसे खेलूं......

खुशिओं की सौगात है ये चलो करें हुड़दंग|
देता है सन्देश सभी को रहो प्रेम के संग||
                  रंग में कैसे खेलूं......

देश  में आज  उठी है भाजपा की तरंग|
दिल्ली में मनाएं होली शाह मोदी के संग||
                  रंग में कैसे खेलूं......            

रंगों से सने देख तुझे हो गया हूँ में दंग|
कैसे जंच रहे हो तुम इस लाली के संग||
                  रंग में कैसे खेलूं......

ढोल बजे तम्बूरा बाजे और बजे मृदंग|
अब रंगों से डरना कैसा चलो हमारे संग||
ख़सम तुम्हारे हैं निखट्टू चलो हमारे संग||
रंग में कैसे खेलूं होली साँवरियाजी के संग||

(केवल मुखबोल पारम्परिक हैं )

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