राही , धिक्कारो तब अपने मन को (ओंकार ठाकुर) सुन्दर भविष्य की मीठी चाह में, लक्ष्य साधना की लम्बी राह में, स्मरण कर अपने बीते जीवन को, राही , धिक्कारो मत अपने मन को | स्वार्थ नहीं तरु को तो फलना है, साथी नहीं तुझ को तो चलना है, मन स्मरण करे यदि स्वजन को, राही , धिक्कारो मत अपने मन को | क्...
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