मेरे पूज्य पिता स्व० श्री लाल दस ठाकुर 'पंकज' द्वारा लिखित एवं प्रकाशित ग़ज़ल संग्रह "फसिहात ओ खुराफ़ात" अर्थात् मधुर वाणी व बकवाद से उधृत मय जो थोड़ी सी पी गया होता मैं भी सूफी – ओ – पारसा 1 होता | काश मुझ को गम न दिया होता || है ये सारा वजूद 2 का किस्सा | मैं न होता अगर तो क्या होता || छा चुका था दिलो दिमाग में जो | उस से क्यों कर मैं बेवफ़ा होता || बात दिल खोल कर तो कर लेता | मय जो थोड़ी सी पी गया होता || तेरी रहमत 3 को जानते क्यों कर | ग़र न हम ने गुनाह किया होता || बहस क्या थी हवास-ए-खमसा 4 के इल्म कि चीज़ अगर ख़ुदा होता || अपने ही ग़म से जब नहीं फुर्सत...
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