मेरे पूज्य पिता स्व० श्री लाल दस ठाकुर 'पंकज' द्वारा लिखित एवं प्रकाशित ग़ज़ल संग्रह "फसिहात ओ खुराफ़ात" अर्थात् मधुर वाणी व बकवाद से उधृत: बिकता मिस्र की गलियों में यूसुफ क्यों? जीस्त की पुरखार 1 राहों पर करें तुफ़ 2 क्यों । ओखली में सिर दिया हो तो उफ़ क्यों ।। वस्फ़ 3 भी बनता है अक्सर बाइस-ए-एज़ा 4 । वरना बिकता मिस्र की गलियों में यूसुफ क्यों। फिक्र-ए-मुस्तकबिल 5 गर है मय से तौबा कर। दो घड़ी के लुत्फ पर इतना तसर्रुफ़ 6 क्यों।। जब जुहूरे 7 अंसर-ए-खाकी 8 है सब मख्लूक 9 | ...
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