मेरे पूज्य पिता स्व० श्री लाल दस ठाकुर 'पंकज' द्वारा लिखित ग़ज़ल संग्रह "फसिहात ओ खुराफ़ात" से उधृत
जहाँ आबे हयात का जाम मिले
मुझे
प्यार भरा कोई नाम मिले, कोई मीठा सा तकिय कलाम1 मिले |
धीरे
से चल कर वो मक़ाम मिले, जहाँ आबे हयात का जाम मिले ||
है
शराब हराम, हरम है ज़र, जिसे लाया गया
बे ईमानी से घर |
यही
फिर भी दिलों में है चाह मगर,कहीं से यूँ ही माले हराम मिले ||
सरे
शाम मैं कल जूँही घर से चला, सुए2 मैक़दा रोज़ की तरह गया |
मैं
अंगुश्त-बंददा3
खड़ा ही रहा, वहां दर पे जनाब-ए- ईमाम मिले ||
वे
जो मर मिटे अपने वतन के लिए, वे जो सरहदे मुल्क से हट न सके |
वे
जो सब के लिए जिए और मरे, वे बहिश्त में हम को तमाम मिले ||
मुझे हज़रते ख़िज्र की जात मिले, कहीं चश्म-ए-आबे हयात मिले |
गमो-रंजो-अलम से निजात मिले, तेरी रूह से वस्ले दवाम4 मिले ||
था शराब का छूना हरम जिन्हें, था गुनाह कबाब का नाम जिन्हें |
वे ब्राह्मण-ओ –शेखो-गरन्थी हमें, तेरी बज़्मे-तरब5 में तमाम मिले ||
न तो वक्त रहा, न
ही रक्त रहा, मैं अब इतने पर ही अनुरक्त रहा |
किसी गुदड़ी से तन को ढांप सकूँ, शबो-रोज़ का नोशा तआम6 मिले ||
मेरे दिल में ख़ुदी का भरम न रहा, तो जहान का एक भी गम न रहा |
तेर प्यार का सौदा यह कम न रहा, मिले आम तो गुठली के दाम मिले
||
कोई तेरा वह खास हबीब7 हुआ, जिसे शर्फ-ए-कलाम8 नसीब हुआ |
मैं ने तूर का ख़ूब तवाफ़ किया, कि तज्जली-ए-नूर-ए-मदाम9 मिले ||
वह निकम्मा तो बैठ के पेट भरे, यह कमाता कमाता भी भूखा मरे |
वह ये चाहता है कि कुछ भी न करे, यह चाहता है कोई काम मिले ||
कोई तेज़ चल, कोई सुस्त चला, यह भी है कोई चाल में चाल भला |
मैं तो चाल में चाल उसी को कहूँ, कि हरेक का गाम से गाम10 मिले ||
है सनम के तुफैल से जीस्त में रस, लगी रहती है वस्ल की मीठी
हवस |
मेरा जिस के भरोसे
रवां है नफ़स11
, उसे मेरी दुआ-ओ-सलाम मिले ||
जो मिले भी, हुए वे मिले न मिले, उन्हें फिर भी तो मुझ से गिले
न मिले |
वे मिले भी तो क्या मिले, खाक़ मिले, कभी सुबह मिले कभी शाम
मिले ||
मैंने क़तरा-ए-आब को पारा किया, ज़र्रा ज़र्रा-ए-खाक़ सितारा किया
|
दुनियां को बना दूँ बहिश्त अगर,
यहाँ कोई दिन और क़याम मिले ||
कोई खैर अंदेश
न यार रहा, न ही हम से ज़माने को प्यार रहा |
न किसी से कोई
सरोकार रहा, मरे ‘पंकज’ अभी तो दवाम मिले||
[1] शब्द,
जिसे लोग बार बार बोलते हैं 2 मदिरालय की ओर 3 दांतों में ऊँगली दबा कर 4 स्थाई
मिलन 5 मदमस्ती की सभा 6 खाना-पीना 7 प्यार करने वाला 8 वार्तालाप का सम्मान 9
सनातन ज्योति का प्रकाश 10 कदम से कदम 11 श्वास प्रश्वास |
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