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अपने बारे में है अव्वाम की राय क्या

मेरे पूज्य पिता   स्व० श्री लाल दस ठाकुर 'पंकज' द्वारा लिखित एवं  प्रकाशित ग़ज़ल संग्रह   "फसिहात ओ खुराफ़ात"  अर्थात् मधुर वाणी व बकवाद  से उधृत       अपने बारे में है अव्वाम की राय क्या तेरी रहमत के लिए गम न उठाये क्या क्या | बिलबिलाते हुए आंसू न बहाए  क्या क्या ||           यह सदाक़त 1 की ही ताक़त थी कि तोहमत 2  न लगी |           वरना तूने  ए  फलक 3     गुल न खिलाये क्या क्या || न हुआ सब्र-ओ-सकूँ 4  इस को अभी तक न हुआ | दम दिलासे दिल-ए-नालां 5  को दिलाये क्या क्या ||           यही बेहतर है  कि तुम याद न आओ हर दम |           वर्ना मालूम क्या , जुवां पर मेरी आये क्या क्या || यूँ ही उठता था तेरा दस्त-ए-करम 6  जब मुझ पर | दिल ने  उस वक्त भी  अरमान छुपाये क्या क्या || ...