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उठा है बेगुनाह पे दस्ते सितम ग़लत

मेरे पूज्य पिता स्व० श्री लाल दस ठाकुर 'पंकज' द्वारा लिखित एवं प्रकाशित ग़ज़ल संग्रह "फसिहात ओ खुराफ़ात"  अर्थात् मधुर वाणी व बकवाद  से उधृत:  

उठा है बेगुनाह पे दस्ते सितम ग़लत


गर्दन झुकाने वाला  हुआ सर कलम1 ग़लत|
उठा है बेगुनाह पे दस्त- ए – सितम2 ग़लत ||

हम आज़िजों3 के चाके-गरेबां4 को देख कर |
हंसने का है तरीका-ए-गुल एक दम ग़लत5 ||

हक्क़ा6 कि शग्ल-ए- बादा-कशी7 के तुफैल8 से |
थोड़ी सी देर के लिए ही सही, होता है गम ग़लत ||

मालूम हाल -ए - ज़ीस्त9  उसी वक़्त हो गया |
राकिम10 ने जब नसीब पे फेरा कलम ग़लत ||

तकमील-ए-इश्क़11 में ग़लती कर गया हूँ मैं |
लेकिन था न उनका रबैय्या भी  कम ग़लत ||

मेरे लिए न बाईस - ए - एज़ा12 बनो मजीद13 |
खाओ न बात  बात  पे  मेरी  कसम  ग़लत ||

खल्वत नशीं14 है वह रग-ए-जान15 के क़रीब |
है सारा शोर-ओ-गोगा-ए-दैरो-हरम१६  ग़लत ||

मेरे अदा – ए - फ़र्ज़१७  में  शायद खता भी हो |
लेकिन खलूस-ए-दिल18 पे है तेरा भरम ग़लत ||

‘पंकज खुदा के लिए अब कुछ न लिखा कर |
कहते हैं लोग कि तेरा है तर्ज़-ए-रक़म19 ग़लत ||



[1] काटना 2 अत्याचारी हाथ 3 विनीत 4 गले के कपड़े के फाड़ 5 क्यों कि फूलों के अपने वस्त्र में अनेक फाड़ हैं 6 इश्वर की शपथ 7 मद्यपान की लत 8 कृपा 9 जीवन का वर्णन 10 लेखक 11 चाहत की पूर्ति 12 दुःख का कारण 13 अधिक 14 एकांतवासी यानि शांतिप्रिय 15 जीवन नस यानि दिल 16 मन्दिर-मस्जिद पर शोर 17 कर्तव्य पालन 18 चित की शुद्धता 19 लिखने कि शैली |

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